न्यूमरॉलॉजी | नंबर कम्पॅटिबिलिटी । अंकों की सुसंगतता व विसंगतता । Number Compatibility in Hindi

महावीर सांगलीकर

Senior Numerologist & Graphologist
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अंकशास्त्र के अनुसार प्रत्येक अंक में कुछ विशेष गुण होते हैं और कुछ विशेष दोष होते हैं. किसी एक अंक के कुछ गुणदोष किसी दूसरे अंक के गुणदोषों के विपरीत हो सकते हैं, उसी प्रकार किसी एक अंक के कुछ गुणदोष किसी दूसरे अंक के गुणदोषों के समान भी हो सकते हैं. इन सभी चीजों से किसी भी दो अंकों की सुसंगतता या विसंगतता तय की जाती है. इसे नंबर कम्पॅटिबिलिटी/ इनकम्पॅटिबिलिटी (Compatibility/incompatibility) कहा जाता है.

कुछ लोग कम्पॅटिबल अंकों को ‘मित्र अंक’ और इनकम्पॅटिबल अंकों को ‘शत्रू अंक’ कहते हैं, लेकिन ऐसा कहना बिलकुल गलत है, क्यों कि कम्पॅटिबिलिटी का मतलब मित्रता नहीं है, और इकम्पॅटिबिलिटी का मतलब शत्रुता नहीं है.

साधारण रूप से हर एक अंक उसी अंक से पूरी तरह कम्पॅटिबल होता है. जैसे 1 यह अंक 1 से, 2 यह अंक 2 से पूरी तरह कम्पॅटिबल होता है. उसी प्रकार हर एक अंक दूसरे किसी अंक से पूरी तरह न सही, लेकिन अच्छी तरह कम्पॅटिबल होता है. जैसे, 2 यह अंक 4 और 6 इन अंकों से अच्छी तरह कम्पॅटिबल है. इसके उल्टे हर एक अंक किसी एक विशेष अंक से बिल्कुल कम्पॅटिबल नहीं होता है. जैसे कि 3 यह अंक 4 इस अंक से बिल्कुल कम्पॅटिबल नहीं है. नाहीत. यह दो अंक एक दूसरे से बिलकुल कम्पॅटिबल इसका मतलब इन दो अंकों के गुणदोष एकदूसरे के बिलकुल विपरीत हैं.

ध्यान रखने योग्य महत्वपूर्ण बात यह है कि कोई एक अंक दूसरे किसी अंक से कुछ मामलों में कम्पॅटिबल और दूसरे कुछ मामलों में इनकम्पॅटिबल हो सकता है. जैसे 1 और 8 यह दो अंक बिझनेस पार्टनरशिप के लिए कम्पॅटिबल हैं, लेकिन रिलेशनशिपसाठी इनकम्पॅटिबल हैं.

नंबर कम्पॅटिबिलिटी और इनकम्पॅटिबिलिटी का उपयोग कोई एक व्यक्ति दूसरे किसी एक व्यक्ति से कम्पॅटिबल है या नहीं यह जानने के लिए, बिझनेस पार्टनर चुनने के लिये, अपने व्यवसाय में महत्वपूर्ण पदों के लिए योग्य व्यक्ति चुनने के लिए, अपना परफेक्ट जीवनसाथी चुनने के लिए किया जा सकता है.

दो व्यक्तियों की कम्पॅटिबिलिटी तय करने के लिए कुछ लोग केवल मूलांक का विचार करते हैं. लेकिन ऐसा करना ठीक नहीं है. सही कम्पॅटिबिलिटी तय करने के लिए आपको मूलांक, ऍटिट्यूड नंबर और भाग्यांक इन तीनों अंकों का विचार करना चाहिये.

कम्पॅटिबिलिटी और इनकम्पॅटिबिलिटी इस विषय के ढेर सारे पहलु हैं. उसमें बड़ी जटिलता है. उसे समझने के लिए आधुनिक बेसिक न्यूमरॉलॉजी का बारिकाई से अध्ययन करना चाहिये.

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